कल ही अदालत का निर्णय पढ़ा मालुम चला की विज्ञापनों में यदि अभिनेता
,अभिनेत्री ,मॉडल्स बरगलाने वालें उत्पादों का समर्थन करतें हुए पाए जायेंगे तो
कंपनी के साथ उन पर भी इस गेर्जिम्मेदाराना हरकत के लिए कारवाई की जायेगी ,पढ़ के
अच्छा लगा सोचा चलो अब तो कोई डीओ से लडकी को आकर्षित करने वाला ,तीन हफ्तों में
रंग साफ़ करने वाला ,डॉलर की जांघिया से लडकी को सेक्सुअली उत्तेजित करने वाला जैसे
विज्ञापनों से बचेगा ,थोडा खराब भी लगा की यमी गौतम (फेयर एंड लवली वाली ) का
करियर भी ख़त्म हो जायेगा और खान साहब को भी फेयर एंड हन्द्सम और नवरत्न तेल की
दूकान बंद करनी पड़ेगी |खेर खान साहब फिल्मो से काफी कम रहें हैं ,यमी के बारे में सोच के बुरा लगता
हैं |
अदालत का निर्णय मुझको सही लगा की कही ना कही तो जिम्मेदारी तय करनी
ही पड़ेगी क्यूंकि जनता जो इन सेलिब्रिटीज को आंखों में चढ़ाएं रहती हैं आँख मूँद कर
इनकी प्रमोट की हुई चीजों को खरीदती हैं ,मेरा एक मित्र हैं राजीव सिंह कुशवाहा ,
कृष का बहुत बड़ा फेन हैं मुझे आज भी याद हैं जब हृतिक जी ने सिंथोल का विज्ञापन
किया था तो भाई जी ने साबुन ,डीओ ,शैम्पू सब सिंथोल का ही लगाया था ,और यहाँ तक की
सुना हैं जब से लक्स ने टैग लाइन निकाली हैं की “अपना लक पहन के चलो “ लोग पुखराज और नीलम की जगह लक्स की जांघिया
पहनने लगे हैं |चलो व्यंग की लिए किस्सा अच्छा था मगर स्टार्स की उत्पादों को गलत
तरह से प्रस्तुत करना रचनात्मकता कम और संवेदनाओं का बाजारूपन ज्यादा लगता हैं |
एक बात और ध्यान देने योग्य हैं की हर विज्ञापन का केंद्र बिंदु लडकी
को इम्प्रेस करना ही हैं (जो युवा वर्ग को टारगेट करता हैं) क्या हर युवा केवल इसी
उद्देश्य से जी रहां हैं मुझे तो बिलकुल नहीं लगता या भारतीय युवा उपभोक्ताओ को कम
से भी कम आँका जा रहां हैं ,विचारणीय हैं ,विज्ञापनों के इस एक ही लेन पे चलने से
यह भी निकल के आता हैं की इस इंडस्ट्री में सृजनात्मकता की कमी हैं|
ये मत समझिएगा की में इन सब चीजों का प्रयोग कर चूका हूँ और असफल होने
पर भड़ास व्यक्त कर रहां हूँ ,एक विचार रख रहां हूँ जो मुझे लगता हैं उचित हैं |
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