Friday, November 28, 2014

शहर के स्वाद

आप किसी भी शहर में रहें वहां का खान पान उस शहर का स्मरण आपको निरंतर कराता रहता हैं आप को रह रह के उन दुकानों की याद आती रहती हैं जहाँ पे स्वादिष्ट पकवान आप अपने दोस्तों और परिवार के साथ खाकर आनंदित होते थे और हर शहर में ऐसी कोई न कोई प्रसिद्ध दूकान ज़रूर होती हैं जो उस शहर की पहचान बन जाती हैं|मैं अपने जन्मस्थान हरदोई के अलावा लखनऊ और मेरठ में काफी समय रहा जहाँ की कुछ दुकानों के ख़ास व्यंजनों ने मेरा समय बहुत ही स्वादिष्ट तरह से गुजारा |मैं यह दस्तरखान आपके साथ साझा करना चाहता हूँ ताकि यदि आप इन जगहों पे जायें तो निम्न व्यंजनों का ज़रूर लुत्फ़ उठाएं |
चलिए पहले आपको मेरठ ले चलता हूँ ,स्वत्रंता संग्राम की शुभारम्भ करने वाला यह ऐतिहासिक शहर अपने उत्कृष्ट खान पान के लिए भी काफी चर्चित हैं, मेरा प्रिय हैं
 १) राधे के छोले
२) हरिया की लस्सी
३) अबू लेन का फालूदा और कंचे वाली बोतल
४) राणा के ढाबे का मलाई कोफ्ता
चलिए एक एक कर आपको सबकी विशेषता से अवगत कराता हूँ
सबसे पहले राधे के छोले –अबू लेन की शुरुआत में ही एक पुरानी सी दिखने वाली दूकान ,इस दूकान पे हमेशा आप काफी भीड़ पाएंगे और जब आर्डर करने के बाद आप राधे के छोले से रूबरू होंगे तो आप पायेंगे बात छोलों में नहीं भटूरो में हैं , भटूरे आपको एक अलग दुनिया में ले जाते हैं, इसके साथ परोसने वाला गाजर का आचार आपको भटूरे से बात करते हुए दिखाई देगा इसका खटास लेता हुआ तीखापन आपको आउट ऑफ़ वर्ल्ड फ्रेज का मतलब समझा देगा|
हरिया की लस्सी –आपने कभी किसी को लस्सी में बर्फी फोड़ते हुए देखा हैं नहीं न यही विशेषता हैं हरिया की लस्सी की ,आपने ज्यादातर लस्सी में काजू ,किशमिश या रुआब्जा मिला के ही पिया होगा मगर हरिया अपनी लस्सी में अपनी ही बनाई हुई बर्फी फोड़ता हैं और लस्सी के नये आयामों से आपको परिचित कराता हैं |
अबू लेन को आप लखनऊ का हजरतगंज समझ लीजिये रास्ते के दोनों तरफ ब्रान्डेड कंपनियों के शोरूम के बीच में गाड़ियों की पार्किंग आपको हजरतगंज की याद दिलाती हैं ,सामने बड़ा सा हनुमान मंदिर और बस वही अपना फालूदा वाला |ठेले पे इस उत्कृष्ट तरीके का फालूदा ग्रहण करके आप अपने आपको धन्य घोषित कर देंगे और बनाने वाले का हाथ भी चूम सकते हैं| बस थोड़ी ही दूर चलेंगे तो पोनी टेल में एक भाईसाहब कंचे वाली बोतल में सोडा पिलाते हुए पाएं जायेंगे |अपने दोस्तों के साथ विन्निंग मोमेंट में इसको पीना एक अलग अनुभव से आपको ज्ञात कराएगा|
अगर आप बागपत बाईपास पे किसी इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ते हैं और आपने राणा के ढाबे पे मलाई कोफ्ता नहीं खाया तो आप का चार साल बर्बाद हो गया जब आप इस मलाई कोफ्ते को परोसा हुआ देखेंगे तो इसमें आप एक उद्देश्य पाएंगे और इसका केवल और केवल एक ही उद्देश्य होता हैं आपकी जबान को स्वर्ग की अनुभूति कराना |
आप जब भी मेरठ जायें तो इनसे ज़रूर रूबरू हो यह मेरठ का अभिमान हैं और यह आपको मेरठ भूलने नहीं देंगे |

आइये अब आपको मेरठ से नौचंदी एक्सप्रेस से लखनऊ लिए चलते हैं ,चारबाग से उतरते ही आपको जैन साहब के बहुतेरे होर्डिंग यह बोस्ट करते हुए मिलेंगे की यह मर्दाना इलाज़ बहुत बढ़िया करते हैं अगर आपको वाकई में कोई समस्या हैं तो ध्यान देवे अन्यथा आगे बढें और शहर-ऐ-लखनऊ से वाकिफ हो ,जैसे आप आगे बढ़ेंगे आपको कई ऑटो और बसों के पीछे लिखा हुआ मिलेगा मुस्कराइए आप लखनऊ में हैं मगर फर्जी मुस्कराने की कोई ज़रुरत नहीं हैं वर्ना वहां के लोग आपको नूरमंज़िल में भी डाल सकते हैं यह वहां का पागलखाना हैं |
वैसे यह शहर नॉन वेज खाने वालो के लिए जन्नत हैं और कई ऐसी जगह हैं जहां आप बेपनाह और बेशुमार मोहब्बत से इसका आनंद ले सकते हैं मेरी प्रिय जगह हैं
१)      टुंडे के कवाब (अमीनाबाद वाले)
२)     दस्तरखान की बिरयानी और उन्ही के सामने मौलाना साहब के बोटी कवाब
३)     अवध की बिरयानी
४)    भूतनाथ की पानीपूरी
५)    प्रकाश की कुल्फी

आप लखनऊ गये और आप ने टुंडे के कवाब नहीं खाए तो आपको २ ३ साल की कैद तो बनती हैं यह इतने मुलायम होते हैं की जैसे उन का गोला या सुरेश वाडेकर की आवाज़ मुंह में रखते ही फना ,लगभग हर प्रसिद्ध स्टार के साथ टुंडे की तस्वीर खुद बा खुद ही इसकी जायके की कहानी बया करती हैं |
आपने बिरयानी कई जगह खायी होगी पर जो बात दस्तरखान की बिरयानी और अवध की बिरयानी में हैं वो बेमिसाल हैं इसमें इतिहास छुपा हैं चावल को विशेष तरीके से किस तरह गोश्त के साथ पकाते हैं कोई लखनऊ वालों से सीखे |
गोमती नगर में ही दस्तरखान के सामने एक मौलाना साहब की छोटी सी दूकान हैं जो थोड़ी छुप सी जाती हैं एक मित्र के जरिये हम एक बार इनके यहाँ पहुच गये और उसके बाद जिस जायके से हम रूबरू हुए वो अविस्मर्णीय था ,इनका बोटी कवाब शानदार हैं आप दाँतों तले अंगुलिया दबाने पे मजबूर हो जायेंगे |

अमीनाबाद में प्रकाश की कुल्फी ज़रूर आजमायें ,आपकी जबान को एक अलग सुकून मिलेगा इसका फालूदा भी कुल्फी से गुफतगू करता हुआ आप पायेंगे |
आइये अब आपको महिलाओं के प्रिय स्थान पे ले चलते हैं ,जी हाँ शायद सही पहचाना आपने भूतनाथ की पानीपूरी ,तरह तरह का पानी ,तरह तरह का फुल्का और जब इनका मिलन होता हैं तो स्वाद को अलंकारित करता हुआ आपको सुकून देता हैं ,यहाँ आपको खिलाने वालों की गति स्तब्ध कर देगी ,सारे इतने पारंगत होते हैं की अच्छी खासी भीड़ को झट से निपटा देते हैं खाते हुए महिलाओं की उछल कूद ,चुलबुलाहट भी आपको रोमांचित करेगी|
इन व्यंजनों के ज़रिये ही यह शहर अपने आपको आपके मन में जिंदा रखते हैं और बार बार आपको बुलाते रहते हैं |


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